बक्सर, निज संवाददाता : कई दशकों तक जिस ज्ञान के खजाने के बूते शहर का सरस्वती पुस्तकालय सूबे के सर्वश्रेष्ठ साहित्य संग्रह के लिए जाना जाता रहा। उसी ज्ञान के खजाने के प्रहरी रामपति प्रसाद आज न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
वृद्ध रामपति प्रसाद बताते हैं कि वर्ष 1965 में उन्हें 45 रुपये प्रतिमाह वेतन पर पुस्तकालय की देखरेख की जिम्मेदारी मिली। जब पुस्तकालय की देखरेख करने वाली कमेटी ने इसे बंद किया तब उनका वेतन दो हजार प्रतिमाह था। जून-07 से उन्हें वेतन नहीं मिला। श्री प्रसाद का कहना है कि पुस्तकालय से उन्हें हटाने के लिए इसी साल छह मई को जबरन उनसे रजिस्टर छीन लिया गया और कर्मचारियों की उपस्थिति पत्रक को भी ले लिया गया। इसके खिलाफ श्री प्रसाद ने नगर थाना में प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया। लेकिन, वृद्ध रामपति की आवाज नक्कारखाने की तूती बनकर रह गयी।
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