Friday 24 August 2012

पुस्तकालय के नाम पर 67 लाख डकारे


जितेंद्र उपाध्याय
चंदौली : तीन साल पहले जिस थ्री इडियट फिल्म को देखकर सरकारी विद्यालयों के छात्रों में तकनीकी और वैज्ञानिक खोज करने का फैसला लिया गया था वह फाइलों में कैद होकर रह गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इस सोच पर शिक्षा विभाग ने पूरी तरह पलीता लगा दिया है। विद्यालयों में भेजे गए लाखों रुपये बंदबांट की भेंट चढ़ गए। अकेले चंदौली जिले में इस योजना मे 67 लाख की हेराफेरी हुई है।
फिल्म में एक गरीब छात्र को पहले तकनीकि क्षेत्र में महारथी और बाद में बड़ा वैज्ञानिक दिखाया गया। इस फिल्म को देखकर न केवल प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पुस्तकालय खोलने का फैसला लिया गया बल्कि प्राइवेट क्षेत्र में एक पाठ इस किरदार पर निर्धारित किया गया था। चंदौली के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत 67 लाख रुपये भेजे गए। इसमें 979 प्राथमिक विद्यालयों में साढ़े तीन हजार की दर से 34.26 लाख रुपया आया और 465 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में साढ़े सात हजार रुपये की दर से 32.55 लाख रुपये आया। इस धनराशि से प्रधानाध्यापक को पुस्तकालय के लिए तकनीकि और प्रतियोगी पुस्तकें खरीदनी थी। इसके अलावा देश दुनिया की जानकारी के लिए हर रोज अखबार की हेडलाइन छात्रों को बतानी थी। लाइब्रेरी के लिए आया धन कुछ महीनों तो खातों मे पड़ा रहा। पर कुछ ही महीनों बाद खातों से धनराशि गोल हो गई। इसके विरोध में कुछ हो हल्ला मचा तो दो-चार विद्यालयों में एक-दो प्रतियोगी पुस्तकें खरीद जरूर गई लेकिन वह अध्यापकों के घर की शोभा बन गई। मौजूदा समय में जिले के एक भी विद्यालय में लाइब्रेरी पुस्तक के नाम पर कुछ नहीं है। लाइब्रेरी के बारे में कुछ शिक्षकों का तो यहां तक कहना है कि जिस योजना में दुबारा धन नहीं आया तो वह योजना कैसी। उधर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फूलचंद यादव का कहना है कि उन्हें ऐसी योजना के बारे में कुछ जानकारी ही नही है। कहा कि पता करवाएंगे तो बता पाएंगे कि योजना किस स्थिति में है।

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