चित्तौड़गढ़। लगता हैशहर के जिला पुस्तकालय परिसर में सट्टा खेलने और शराब पीने की खुली छूट है। पुस्तकालय परिसर में मिली सामग्री को देखकर तो ऎसा ही प्रतीत हो रहा है। जिला पुस्तकालय परिसर को लम्बे समय से समाजकंटकों ने अपना ठिकाना बना रखा है।
पुलिस की गाडियां कई बार इस राह से गुजरती है, लेकिन जानकर भी पुलिस इन सब से अनजान बनी हुई है। चार दिन पहले ही जब पुस्तकाल परिसर में देसी बबूल का पेड़ काटा गया, तब वहां पहंुचे क्षेत्र के लोगों ने पुस्तकालय परिसर से सट्टे के अंक लिखने के काम आने वाली ढेरों डायरियां एक पुलिसकर्मी को यह कहते हुए सौंपी थी कि वह यह पर्चियां थाना प्रभारी को बताएं, ताकि उनमें ज्ञानार्जन स्थल परिसर में हो रहे सट्टे को रोकने की इच्छाशक्ति जाग सके।
इन डायरियों के पन्नों पर बाकायदा कोड भाषा में अंक लिखे हुए थे और खुद सिपाही ने यह सट्टे की डायरियां होने से इनकार नहीं किया था, लेकिन चार दिन बाद भी सार्वजनिक स्थल पर चल रहे सट्टे के कारोबार को रोकने के लिए पुलिस अघिकारियों ने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। चार दीवारों को अवैध केबिनों से घेरा हुआ है, इनमें से कुछ केबिनों में सट्टे का कारोबार होता देखा जा सकता है। हालत यह है कि राह चलते आदमी को पुस्तकालय नजर ही नहीं आता।
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