Thursday 17 May 2012

दारुल उलूम की लाइब्रेरी में विभिन्न धर्मों के ग्रंथों का संगम

देवबंद। लगभग डेढ़ सौ पूर्व स्थापित विश्व प्रसिद्ध इदारा दारुल उलूम देवबंद इस्लामिक शिक्षा और फतवों के कारण तो विश्वभर में मशहूर है ही, यहां का पुस्तकालय भी अपनी अलग पहचान रखता है। यहां विभिन्न प्रांतों की लगभग 16 भाषाओं में करीब 1 लाख 50 हजार 220 पुस्तकें मौजूद हैं, जिसमें मुहम्मद साहब के खत और औरंगजेब के हाथ से लिखे कुरान से लेकर श्रीमद्भागवत गीता और मनु स्मृति तक शामिल हैं। 
विश्व प्रसिद्ध दारुल उलूम देवबंद का पुस्तकालय में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने वाले कई सौ वर्ष पुराने हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के ग्रंथ भी संजोकर रखे गए हैं। दारुल उलूम की स्थापना के कुछ सालों बाद ही यहां स्थापित हुए पुस्तकालय में मुहम्मद साहब द्वारा उस दौर के विभिन्न बादशाहों को बिना नुकते की अरबी में लिखे गए खत, जिन पर रसूल अल्लाह की अंगूठी की मुहर लगी है से लेकर 1069 हिजरी मुताबिक वर्ष 1762 यानि करीब 250 साल पूर्व हजरत औरंगजेब द्वारा लिखित कुरआन-ए-करीम भी मौजूद है। यही नहीं यहां श्रीमद्भागवत गीता (संस्कृत), वाल्मीकि रामायण (उर्दू), कुरआन मजीद (हिंदी, अरबी, उर्दू, इंग्लिश), बाइबल (इंग्लिश), गुरुग्रंथ साहिब (गुरुमुखी) के अलावा ऋग्वेद (संस्कृत), यजुर्वेद (संस्कृत), शाम वेद (संस्कृत) अथर्व वेद (संस्कृत) के साथ ही मनु स्मृति (हिंदी) और विष्णु स्मृति (संस्कृत) भी है। पुस्तकालय के इंचार्ज मौलाना शमीम अहमद लखीमपुरी ने बताया कि पुस्तकालय में अरबी, उर्दू, फारसी, हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, कश्मीरी, उड़िया, केरला, संस्कृत, इंग्लिश, तेलगू और सिंधी समेत 16 भाषाओं में पुस्तकें हैं। कई सौ वर्ष पुरानी धार्मिक पुस्तकों को बड़ा संभालकर रखा गया है। प्रतिदिन इनकी देखरेख करने का काम किया जाता है, क्योंकि पुरानी पुस्तकें होने के चलते यह बहुत नाजुक हो चुकी हैं। किसी प्रकार की लापरवाही इनके खराब होने का कारण बन सकती हैं।
source: Amar Ujala

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